19 घंटे पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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सिंगर अरमान मलिक का नया सिंगल एल्बम ‘तेरा मैं इंतजार’ रिलीज हो चुका है। इस एल्बम को अरमान के बड़े भाई अमाल मालिक ने कंपोज किया है। इन्हें भले ही म्यूजिक विरासत में मिला है। लेकिन करियर के शुरुआती दिनों में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इनके चाचा अनु मलिक इंडस्ट्री के बड़े म्यूजिक डायरेक्टर हैं, उन्होंने कभी मौका नहीं दिया।
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अरमान मलिक ने बताया कि मां खुद डेमो सीडी लेकर कंपोजर से मिलती थीं, ताकि काम मिले। अगर मां ने सपोर्ट नहीं किया होता तो म्यूजिक इंडस्ट्री में सफल नहीं होते।
आइए जानते हैं सवाल जवाब के दौरान अरमान मलिक ने और क्या कहा….
आप का सिंगल एल्बम ‘तेरा मैं इंतजार’ रिलीज हो चुका है, आप को इंतजार किसका है?
मुझे किसी का इंतजार नहीं है। जब हम कोई सॉन्ग करते हैं तो एक किरदार में घुसने के लिए तैयारी करते हैं। इस गाने को देखने के बाद कई लोग पूछ भी रहे है कि आप के साथ हुआ क्या है? इस गाने में इतने दर्द के साथ एक्टिंग कर रहे हैं। सिंगर और परफॉर्मर के तौर पर हमें हर प्रोजेक्ट को अलग नजरिए से देखना पड़ता है।
इसके लिए मैंने बहुत तैयारी की। शूटिंग से 3-4 दिन पहले नमक खाना छोड़ दिया था। ताकि ऐसा लगे कि बहुत दिनों से रो रहा है। इस गाने में ऐसे मोमेंट्स आते हैं जहां मुझे चीखना और रोना पड़ा। इस इमोशन को फील करने के लिए मैंने खुद को अंधेरे कमरे में बंद कर लिया था।
आपके डैडी डब्बू मालिक ने फिल्मों में एक्टिंग भी की हैं, उनके एक्टिंग का प्रभाव आप पर रहा है?
एक्टिंग का इंस्पिरेशन तो किसी से नहीं रहा है। बचपन से ही मुझे सिंगर ही बनना था। इतने सालों से म्यूजिक वीडियो में परफॉर्म करते आ रहा हूं तो एक्टिंग में बहुत कंफर्टेबल हो गया हूं। फिल्मों में एक्टिंग के बारे में कभी नहीं सोचा। लेकिन अगर कोई अच्छा प्रोजेक्ट मिले, जो म्यूजिक से रिलेटेड हो। मेरी पर्सनालिटी के हिसाब से म्यूजिशियन का किरदार हो तो कर सकता हूं। ऐसे किसी फिल्म में एक्टिंग नहीं कर पाऊंगा।
आपके दादा सरदार मालिक म्यूजिक डायरेक्टर रहे हैं, चाचा अनु मलिक और डैडी म्यूजिक से जुड़े रहे हैं, आप को कब ख्याल आया कि म्यूजिक में करियर बनाना है?
मैं चार साल की उम्र से गाना गा रहा हूं। आठ साल की उम्र में सोच लिया था कि सिंगर बनूंगा। दादा जी तानपुरा बजाते थे। मैं उनके साथ बैठता था। मैंने जिंगल्स में गाना शुरू कर दिया था। ‘सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स’ में 9 साल की उम्र में भाग लिया। उसके बाद मैंने भूतनाथ, तारे जमीन पर में बच्चों के लिए सिंगिंग शुरू कर दी थी।
दादा जी की विरासत को किस तरह से आगे बढ़ाना है?
मेरी और बड़े भाई अमाल की यही कोशिश है कि जो भी गाने करें, उसमें मेलोडी बहुत मजबूत हो। मेलोडी हमारे खून में है। हमारी कोशिश है कि मेलोडी लोगों के रूह तक पहुंचे। दादा जी की इसी विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। हम लोग क्वालिटी पर ध्यान देते हैं। सोचते हैं कि एक गाना आए और वो बहुत अच्छा आए। यह हमने आदत दादा जी से सीखी है।
दादा जी से और क्या सीखी आपने ?
म्यूजिक के लिए रिस्पेक्ट सीखा है। अच्छा इंसान बनना सीखा है। दादा जी बहुत ही दयालु इंसान थे। काश आज होते और हमारी सक्सेस देख पाते। उन्होंने अपने करियर में ज्यादा सक्सेस नहीं देखी। अनु चाचा (अनु मलिक) ने बहुत सक्सेस देखी। डैडी म्यूजिक, सिंगिंग और एक्टिंग करते रहे। जिस तरह की सक्सेस वो चाह रहे थे।
वैसा सक्सेस नहीं मिला। वो हमें मिला। यह दादा जी का ही आशीर्वाद है। वो जहां पर भी हैं, हमें देख रहे हैं। दादा जी के साथ हमारा बहुत ही गहरा लगाव रहा है। हमने दादा जी को एक गाना ‘मैं रहूं या ना रहूं’ समर्पित किया है।
म्यूजिकल बैकग्राउंड से आने पर करियर बनाने में आसानी कितनी होती है और चुनौतियां क्या आती हैं?
चुनौतियां बहुत थीं। लोगों को ऐसा लगता है कि फिल्मी बैकग्राउंड होने से मौके बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं था। अगर ऐसा होता तो मैं रिएलिटी शो ‘सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स’ में कभी भी भाग नही लेता। पापा नहीं चाहते थे कि मैं उसमें भाग लूं। पापा ने अपने लाइफ में बहुत चुनौतियां देखी हैं।
वो नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे उस दौर से गुजरें। मैंने और मम्मी ने डिसाइड किया किया कि उसमें भाग लेंगे। भले ही उस कंपटीशन का विनर नहीं रहा, आगे चलकर बॉलीवुड में बहुत सारे गाने गाए। कभी मेरे फैमिली के किसी मेंबर ने किसी को फोन करके नहीं कहा कि अरमान से गवाओ।
चाचा के लिए कभी नहीं गाया। पापा के लिए अभी 3-4 साल पहले ही गाया है। इंडस्ट्री में जो भी रिलेशन बने हैं खुद से बने हैं। मम्मी ने मेरा डेमो सीडी हर कंपोजर को रिकॉर्डिंग स्टूडियो में जाकर दिया। मैंने स्टूडियों में जाकर खूब ऑडिशन दिए हैं, तब जाकर मुझे मौके मिले हैं।
पापा ने सलमान खान के साथ बहुत काम किया है। उनका रिलेशन उनके साथ था। मैं सलमान सर को अपना एल्बम ‘अरमान’ सुनाने गया था। मैं चाह रहा था कि सलमान सर हमारे एल्बम की लांचिंग में आए। इससे हमारे एल्बम को प्रमोशन मिलता। सलमान सर ने उसमें से एक गाना अपनी फिल्म ‘जय हो’ में लिया। वहां से हमारा बॉलीवुड का सिलसिला शुरू हुआ था।
चाचा अनु मलिक के साथ कभी गाने का मौका क्यों नहीं मिला?
चाचा के साथ कभी नजदीकी संबंध नहीं रहे। बचपन से ही फैमिली में दूरियां थीं। इसलिए हमारी बातचीत और मिलना जुलना नहीं था। लेकिन उनके म्यूजिक का डीएनए हम सब में है। जिस तरह से उन्होंने काम किया है, शायद ही किसी कंपोजर ने किया हो।
मम्मी का कभी म्यूजिक में इंट्रेस्ट रहा है?
कभी नहीं, मम्मी को म्यूजिक सुनना पसंद नहीं है। वो सिर्फ हमारे गाने सुनती हैं। मेरे करियर में सबसे बड़ा योगदान मम्मी का ही है। वो हम सबकी मैनेजर है। अगर वो मेहनत नहीं की होतीं तो शायद आज यहां नहीं होता।
‘जय हो’ के बाद सलमान खान ने कुछ सुझाव दिए थे?
वजन कम और डांस क्लासेस जॉइन करने के लिए कहे थे। उनका कहना था कि सिंगिंग के साथ-साथ पर्सनालिटी भी दिखनी चाहिए। वो तो मुझे धमका रहे थे कि स्क्रीन पर शर्टलेस दिखाने वाला हूं। फिटनेस और वर्कआउट में मेरा ध्यान सलमान सर की ही वजह से गया। नहीं तो हम लोग तो यही सोच रहे थे कि स्टूडियो में ही तो गाना है। बॉडी बनाने की क्या जरूरत है।