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- Rashmi Bansal’s Column Mastery In Any Subject Is Possible With Enthusiasm And Practice
22 मिनट पहले
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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर
हाल ही में मेरे पिता डॉ. प्रह्लाद चंद्र अग्रवाल को स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। कॉस्पर नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने उन्हें ये सम्मान प्रदान किया। अब एक छोटा ग्रह (माइनर प्लैनेट) उनके नाम से जाना जाएगा- (प्रह्लाद अग्रवाल 20064)।
कोरिया के बुसान शहर में जब उन्होंने ये अवॉर्ड ग्रहण किया, तो मुझे अत्यंत खुशी और गर्व महसूस हुआ। मन में कुछ ख्याल भी आए, वो आपसे शेयर करना चाहती हूं। उनका जन्म हुआ था एक छोटे शहर के मामूली से परिवार में, जहां केरोसिन लैंप की हल्की रोशनी से उन्होंने पढ़ाई पूरी की।
रतलाम में बीएससी के बाद वो एमएससी पढ़ने इंदौर गए थे, मगर पैसों की तंगी से कोर्स छोड़ने की नौबत आ गई थी। इसी दौरान अपने एक प्रोफेसर के कहने पर उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की ट्रेनिंग स्कूल का एग्जाम दिया। शॉर्टलिस्ट हुए और इंटरव्यू के लिए बॉम्बे गए।
वहां कई दिग्गज कैंडिडेट थे। खैर, उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और लौट आए। अब हुआ ये कि बार्क में उनका सिलेक्शन हो गया, और तार पहुंचा रतलाम। तार अंग्रेजी में था, किसी को समझ नहीं आया। तार भेजा गया इंदौर, एक रिश्तेदार के घर, वे भागते-भागते हॉस्टल पहुंचे।
‘प्रह्लाद, तुम्हें फौरन बॉम्बे जाना है। कल की जॉइनिंग डेट है…!’ तो इस तरह शुरू हुआ विज्ञान की दुनिया में पिता जी का सफर। एक साल की ट्रेनिंग के बाद मेरे पिता ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में प्रवेश किया। यहां उनका डिपार्टमेंट था स्पेस फिजिक्स।
ये कोई ऐसा विषय नहीं है, जिसमें उन्हें पहले से कोई दिलचस्पी थी। मगर जब जुड़ गए, तो गहरा लगाव हो गया। आखिर उल्लास और अभ्यास, दोनों आपको किसी भी विषय में मास्टर बना सकता है। आजकल ट्रेंड है कि मुझे तो बस कम्प्यूटर साइंस करना है, और कुछ मिला तो मन नहीं लगेगा।
खैर, पिता जी को 1965 में स्पेस फिजिक्स की एक नई फील्ड में आने का मौका मिला- जो आज एक्स-रे एस्ट्रोनॉमी के नाम से जानी जाती है। ये उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट था। उन्हें जो नाम और सम्मान मिला वो इसी फील्ड में नई सोच और नई खोज के लिए मिला है।
अगर आज आप युवा हैं, जो जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो किसी ऐसी इंडस्ट्री में एंटर कीजिए, जो अभी पूरी तरह से स्थापित न हुई हो। जैसे कि रिन्युएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक कार, एआई। यहां रोज कुछ नया देखने को मिलेगा, और कुछ ही सालों में आप एक एक्सपर्ट बन सकते हो।
डेटिंग के ज़माने में लोग शादी करने से डर रहे हैं। लेकिन चाहे आप लव मैरिज करें या अरेंज्ड, रिश्ते को निभाने में मेहनत तो लगेगी। ये बात करिअर के बारे में कही जा सकती है। सक्सेस उसे मिलती है जो अपने काम को निष्ठा और जोश से पूरा करता है।
दुनिया में इनोवेशन तब होता है, जब और कोई आसान रास्ता नहीं होता। तो आप भी अपने दिमाग को एक बहुमूल्य रिसोर्स के रूप में इस्तेमाल कीजिए। सवाल पूछिए- ऐसा क्यों? वैसा क्यों नहीं? अगर एक हफ्ते तक आप अपने घर पर, या ऑफिस में ये सवाल पूछेंगे, तो आप के दिमाग की बत्ती जल जाएगी।
पूछने से न डरिए, खोज शुरू करिए।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)