Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Keep auditing your mistakes too | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपनी गलतियों का भी ऑडिट करते रहें

Admin@KhabarAbhiTakLive
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14 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

एक होता है फाइनेंशियल ऑडिट, एक होता है मेंटल ऑडिट और एक है फॉरेंसिक ऑडिट। ऑडिट केवल आंकड़ों का ही नहीं है। जब आप ऑडिट करते हैं, तो गलतियां पकड़ में आ जाती हैं। चूक, छूट और भूल, ये तीन शब्द सबके जीवन में हैं और ऑडिट वाले इन ही को पकड़ते हैं।

चूक का मतलब, जैसे निशाना चूक जाना। चलते हुए गिरे। क्यों? क्योंकि चूक हुई थी, तो चूक में एक विचलित होने का भाव रहता है। अनजाने में असावधानी से चूक होती है। फिर है छूट। कोई काम करते हुए बीच में जो बात रह गई, उसको छूट कहते हैं, जैसे सामान स्टेशन पर छूट गया, गिनती में ये संख्या छूट गई।

ये भी साधारण त्रुटि है, लेकिन भूल का संबंध हमारी स्मरण शक्ति से है। अपने वचन को ठीक से न निभाना, ईमानदारी के विपरीत कार्य करना.. ये भूल है और ये दंडनीय है। तो हम अपने परिवार और कारोबार में लगातार इस बात का ऑडिट करते रहें कि हमसे कहां चूक हो रही है, कहां छूट रहे हैं, और कहां भूल कर रहे हैं। ये तीनों बातें अगर ठीक से समझ जाएं, तो जीवन में जरूरत और मजबूरी को भी ठीक से समझ कर जीवन जी सकेंगे।

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