29 मिनट पहले
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एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि वो पैसों की परवाह नहीं करते लेकिन साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में वो इसलिए काम करते हैं क्योंकि वहां उन्हें अच्छा पैसा दिया जाता है। नवाज ने ये बात भी कबूली कि साउथ फिल्मों में उनका रोल भले ही अच्छा न हो लेकिन पैसों के चलते वो उन्हें कर लेते हैं।
फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में नवाजुद्दीन ने कहा, ‘जब मैं ‘रमन राघव’ जैसी फिल्मों में काम करता हूं तो मेरा इमोशन, थॉट्स, सोल पर कंट्रोल रहता है लेकिन जब मैं साउथ फिल्में करता हूं तो मैं उनमें किरदारों के प्रति श्योर नहीं होता। मगर मुझे अच्छा पैसा मिलता है तो मैं हामी भर देता हूं। मुझे गिल्ट भी होता है। सोचता हूं कि इतना सारा पैसा दे दिया लेकिन समझ नहीं आ रहा क्या कर रहे हैं।’
रजनीकांत और नवाजुद्दीन स्टारर ‘पेट्टा’ 2019 में रिलीज हुई थी।
नवाज ने आगे कहा कि साउथ फिल्मों में काम करके उन्हें लगता है कि वो चीटिंग कर रहे हैं। नवाजुद्दीन बोले, ‘ऑडियंस को समझ नहीं आता लेकिन मुझे पता होता है। ये ऐसा है जैसे कोई विज्ञापन हो। मेरा उस प्रोडक्ट के प्रति कोई इमोशन नहीं होता बस मुझे उससे मिलने वाले पैसे से मतलब होता है। बता दें कि नवाज ने साउथ सुपरस्टार्स रजनीकांत की ‘पेट्टा’ और वेंकटेश की ‘सैंधव’ जैसी फिल्में की हैं।’
वेंकटेश और नवाजुद्दीन सिद्दीकी
पैसों के लिए फिल्मों में नहीं आया: नवाज
नवाज ने आगे कहा कि वो पैसों के लिए फिल्मों में नहीं आए। नवाज बोले, ‘हमारे बुढाना में शुगर फैक्ट्री है। मैं उतना पैसा नहीं कमा पाता, अगर मैं वहीं काम करता रहता। बता दें कि 19 मई, 1974 को उत्तर प्रदेश के कस्बे बुढ़ाना में जन्मे नवाजुद्दीन तकरीबन 15 साल के संघर्ष के बाद बॉलीवुड में अपनी पहचान बना पाए। एक जमाने में वॉचमैन रह चुके नवाज आज भी वक्त निकालकर अपने गांव जाते हैं और खेती-बाड़ी भी करते हैं।’
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से मिली नवाज को पहचान
नवाज ने करियर की शुरुआत 1999 में आई फिल्म ‘सरफरोश’ से की। हालांकि इसमें उनका छोटा सा रोल था। साल 2012 तक नवाज ने कई छोटी-बड़ी फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली। फिर अनुराग कश्यप उन्हें फैजल बनाकर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में लाए और फैजल के रोल ने उन्हें घर-घर में पॉपुलर बना दिया। नवाज की पिछली फिल्म ‘रौतू का राज’ थी।