N. Raghuraman’s column – Speed in everything is going to be the future now… | एन. रघुरामन का कॉलम: हर चीज में स्पीड ही अब भविष्य बनने जा रही है

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4 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

आपको लग सकता है कि इसमें क्या नया है? आपने और मैंने अब तक स्पीड से जुड़ी जो कहानी सुनी थी, वो अब पुरानी हो चली है, जो कि फूड डिलीवरी एप्स के आसपास थी। इसकी शुरुआत भी इन्हीं एप के साथ हुई थी, जिन्हें लगा कि ग्राहकों को ऑर्डर किया खाना दोबारा गर्म करने की जरूरत न पड़े, इसलिए उन्होंने खुद के लिए बेंचमार्क स्थापित करते हुए तय किया कि एक तयशुदा समय में डिलीवरी करें और ऐसे डिलीवरी बॉक्स का इस्तेमाल शुरू किया, जिसमें खाना गर्म बना रहे।

इस अनोखे विचार के पीछे वजह ये थी कि जब कोई भूखा है और इसके लिए पैसा चुका रहा है, तो उनका दायित्व है कि वे उनके खाली पेट को संतुष्टि प्रदान करें। पर ये धीरे-धीरे ऐसी सेवाएं देने वालों के बीच प्रतिस्पर्धा बन गई और “10 मिनट डिलीवरी’ जैसी चीजों तक सिमट गई। पर 2024 की कहानी ये है कि हर कंपनी के लिए स्पीड सनक बनती जा रही है! कोई कितनी तेजी से ग्राहक के घर वॉशिंग मशीन इंस्टॉल करवा सकती है, कोई कर्मचारी कितनी तेजी से नौकरी खोज सकता है, नियुक्ति पत्र ले सकता है! यकीन नहीं तो यहां पढ़ें।

टाटा की कंपनी बिग बास्केट अपने क्विक कॉमर्स वर्टिकल के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स व अन्य उपकरण बेचने के लिए क्रोमा से बात कर रही है। इस गुरुवार को बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में बिगबास्केट के सीईओ हरि मेनन ने ये कहते हुए संकेत दिया, “कल्पना करें, वॉशिंग मशीन महज 15 मिनट में आपके घर डिलीवर कर दी जाए’।

क्या आप सोच सकते हैं कि ग्रोसरी डिलीवरी करने वाली कंपनी इन दिनों वॉशिंग मशीन डिलीवर करने की बात कर रही है? याद रखें, अगर असंगठित क्षेत्र के प्लंबर 15 मिनट में वॉशिंग मशीन को फिक्स करने की स्पीड मैच नहीं कर पाएंगे तो वही कंपनी अपने ग्राहक को संतुष्टि के स्तर से प्रसन्नता के स्तर तक ले जाने के प्लंबिंग की सेवा का विस्तार भी करेगी। इससे उन्हें उस ग्राहक को ‘क्विक सर्विस कैटेगरी’ में बनाए रखने में मदद मिलेगी।

“क्विक सर्विस’ का बिजनेस, उपभोग वाली वाली चीजों के बाजार में रहेगा, वो इसलिए क्योंकि समाज में धैर्य धीरे-धीरे पीछे छूट रहा है। नई उम्र के ग्राहकों की टोन होती है कि मैंने पैसे दिए हैं, मुझे सर्विस भी अभी चाहिए। इस मानसिकता को समझने वाले व्यापारी अच्छा कर रहे हैं। उसी बिगबास्केट का उदाहरण लें, जिसने 350 डार्क स्टोर्स खोले हैं (उत्पाद रखने वाले गोडाउन या स्टोर्स) और इनमें से कई पहले ही मुनाफे में हैं क्योंकि उन्हें न्यूनतम ऑर्डर वैल्यू मिल रही है।

ऐसे ही बड़ी संख्या में भर्ती करने वाले नियोक्ताओं के लिए बायोडाटा की बाढ़ में सही उम्मीदवार ढूंढना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है। रिक्रूटर्स का कीवर्ड डालकर सही आवेदक से मिलान करना भी पुरानी बात हो गई है। नई कहानी है, इंटरव्यू में खुद को बेहतर तरीके से पेश करने के लिए एआई आवेदकों की मदद कर रहा है। उन्हें एआई को बताना है कि वे वहां क्यों हैं, क्या चाहते हैं, उसके बाद वो एआई कंपनी की जरूरतों के मुताबिक शब्द मैच कर लेगी, पर्सनल स्क्रीनिंग के लिए चुन लेगी।

हायरिंग प्लेटफॉर्म के लिए काम कर रही आईटी कंपनियां आश्वस्त हैं कि तीन सालों में लोग खुद को कंपनियों में नौकरी पर रखेंगे। मौके आने पर खुद को पेश करेंगे (एचआर के बजाय एआई मशीन के सामने), आकलन प्रक्रिया से गुजरेंगे व नौकरी पर रखवाएंगे। भविष्य में उम्मीदवार का सत्यापन एआई के लिए मिनटों का काम होगा।

फंडा यह है कि असंगठित बाजार में सेवाएं देने वाले जैसे प्लंबर से लेकर, कॉबलर और मैकेनिक से लेकर निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों तक को समझना चाहिए कि आने वाले वक्त में ‘स्पीड’ ही उनके बिजनेस को गति देगी।

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