Dr. Aruna Sharma’s column – There are some big challenges before the new government ​​​​​​​ | डॉ. अरुणा शर्मा का कॉलम: नई सरकार के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं ​​​​

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4 घंटे पहले

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डॉ. अरुणा शर्मा प्रैक्टिशनर डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट और इस्पात मंत्रालय की पूर्व सचिव - Dainik Bhaskar

डॉ. अरुणा शर्मा प्रैक्टिशनर डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट और इस्पात मंत्रालय की पूर्व सचिव

2024 के चुनाव श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे, रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और उच्च उत्पादकता के साथ ‘समावेशी विकास की कहानी’ पर जोर देने की जरूरत को फिर से ध्यान में लाए हैं। चुनावी जनादेश मतदाताओं द्वारा स्पष्ट है कि ‘हमें केवल अपने काम की बातों से ही सरोकार है।’

आने वाले 5 वर्ष यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि धरातल पर गुणवत्तापूर्ण वितरण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन किया जाए। केंद्र में निर्मित नई सरकार के लिए संदेश स्पष्ट है। मार्गदर्शक सिद्धांतों में स्थानीय निकायों का विकेंद्रीकरण, रोजगार के अवसर पैदा करना और कृषि में उत्पादकता बढ़ाना शामिल होना चाहिए। ये महज बातचीत तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। इसे बेंचमार्किंग इम्प्लीमेंटेशन और सक्रिय एक्शन में बदलना होगा।

नई सरकार के लिए प्रमुख चुनौती बुनियादी ढांचे के लिए स्थानीय निकायों को फंड मुहैया कराना और मुद्रास्फीति-बेरोजगारी की लगाम कसना है। 15वें वित्त आयोग में दो सुधारों से स्थानीय निकायों को प्राथमिकताएं तय करने के लिए फंड का फ्लो होगा,जिसमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक वार्ड में अच्छी पहुंच वाली सड़कें, स्कूल भवन, खेल के मैदान, उद्यान, खेल सुविधाएं जैसे सार्वजनिक स्थान हों। इसके पूरक के रूप में गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच होनी चाहिए।

15वें वित्त आयोग में सुधारात्मक निर्देश यही होना चाहिए कि फंड जारी करने पर से रोकटोक हटाकर सुझावात्मक गतिविधियों की सूची दी जाए और गुणवत्तापूर्ण वितरण पर सामाजिक ऑडिट हो। केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्थानीय निकायों के फंड को गृह मंत्रालय से पंचायती राज को वापस स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

यह मनरेगा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे और रोजगार पर स्पष्ट काम शुरू करेगा। यूपीए ने 13वें से 14वें वित्त आयोग तक फंड के फ्लो को दोगुना कर दिया था। 15वें वित्त आयोग को भी व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। 16वां वित्त आयोग अभी मसौदे के चरण में ही है, लेकिन उसमें अभी से वास्तविक जरूरतों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

इससे स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। मजबूत सोशल ऑडिट के माध्यम से गुणवत्ता पर जोर दिया जाता है। सामाजिक सुरक्षा ने पहले ही डीबीटी हस्तांतरण हासिल कर लिया है, अब महिलाओं को उनके स्वयं के स्वास्थ्य और स्वच्छता-देखभाल और पोषण के साथ-साथ कुपोषण पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए लाभों को समझाने की आवश्यकता है। यह केवल बीपीएल परिवारों के सदस्यों के लिए होना चाहिए।

स्थानीय निकायों के यूटी फंड को गृह मंत्रालय से पंचायती राज में वापस स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह मनरेगा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे और संकट की स्थिति वाले रोजगार पर स्पष्ट काम शुरू करेगा। दूसरा है महंगाई को कम करना। इसमें पहला कदम तो ईंधन की लागतों को काफी हद तक कम करना है, ताकि मुद्रास्फीति को कम करने के लिए इसका व्यापक प्रभाव हो। इससे तत्काल राहत मिलेगी।

अगला है रोजगार-सृजन की सुविधा प्रदान करना। इसके लिए सभी रोजगार-योग्य युवाओं को एक साल के लिए कौशल विकास के लिए एमएसएमई (लघु और मझोले उद्योग) से जोड़ना, एमएसएमई को सहयोग प्रदान करना और व्यक्तियों को प्रभावी ढंग से कोई ऐसा व्यापार सीखने का अवसर देना, जिससे वह रोजगार-योग्य बन सके आदि जरूरी हैं।

कौशल-विकास में धन का प्रावधान किया जा सकता है। अगला कदम सरकार में रिक्त पदों को युक्तिसंगत बनाने और भर्ती करने का हो। लंबे समय के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एमएसएमई को सहायता दी जाए और उसे पुनर्जीवित किया जाए, क्योंकि यहीं पर रोजगार के प्रमुख अवसर पैदा होंगे।

वहीं किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी और स्पष्ट टिकाऊ निर्यात नीति मिलनी चाहिए। केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) के माध्यम से कृषि विश्वविद्यालय और किसान के बीच सहजीवी संबंध का त्रिकोण उत्पादकता को दोगुना करने और प्रत्येक गांव और अंततः किसान के लिए बेहतर लक्षित फसल पैटर्न के लिए आवश्यक है।

चूंकि आंकड़े प्रशासन के लिए बहुत जरूरी हैं, इसलिए जनगणना और सामाजिक-आर्थिक जाति-जनगणना समय की मांग हैं। मैक्रो स्तर पर औद्योगीकरण और आईटी पॉलिसी पर फिर से काम करने की भी जरूरत है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)

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